कुसुम को किसने कहा खिलो,
पवन को किसने कहा चलो,
अग्नि को किसने कहा जलो।
जीवन में निराश क्यों,
मृत्यु का उपहास क्यों,
प्रेम की तलाश क्यों ।
समय क्यों रुकता नहीं,
अहं क्यों झुकता नहीं,
विचार क्यों रुकता नहीं।
भक्ति में इच्छा कैसी,
शक्ती की समिक्षा कैसी,
विश्वास की परिक्षा कैसी।
रंग क्यों अनेक है,
जीवन क्यों एक है।
प्रश्न का हल नहीं,
अर्थ है सभी वही।
बहुत सारे प्रश्न उत्तर एक का भी नहीं पता है। कविता अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
बहुत खूब। कहते हैं कि-
जवाब देंहटाएंसमझ सके तो समझ जिन्दगी की उलझन को।
सवाल उतने नहीं हैं जबाव हैं जितने।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत सही प्रश्न उठाए हैं लेकिन हरेक के लिए इसके उत्तर अलग अलग ही होते हैं।
जवाब देंहटाएंअंतिम पंक्तियां उसी ओर संकेत कर रही हैं-
रंग क्यों अनेक है
जीवन क्यों एक है
bahut achche!!!
जवाब देंहटाएंSocha hai? socha nahi to socho abhi...
जवाब देंहटाएं...khoobsoorat prashn !!
...par nirutarit !
सबसे अच्छी बात यह है कि
जवाब देंहटाएंतुम्हारी कविता में
सकारात्मकता के दर्शन होते हैं!
बहुत बहुत धन्यवाद रवि भैया.
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