शनिवार, 19 सितंबर 2009

दो मैथिली अगड़म-बगड़म !!!!!

               (फोर्ट कोच्चि में लिया गया फोटो)

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माछ- भात तीत भेल

दही- चिन्नी मिठ्ठ भेल

खाकऽऽ टर्रर छी     ।

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कारी मेघ

कादो थाल

झर झर बुन्नी

चुबैत चार

 

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(चिन्नी= चीनी, मिठ्ठ= मीठा, कारी= काला, बुन्नी= बरसात, तीत= तीखा, चुबैत= टपकना, चार= छप्पर)

17 टिप्‍पणियां:

  1. inspite of the fact you gave the meaning, then too it was not understandable....
    however new template and pics looks good
    !!

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  2. bad nik.. likhait rahu.. hamara sabh ke sunawait rahu.. badhaaai....

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  3. पंकज जी और दर्पण जी क्षमा चाहता हूँ । मैं हिन्दी अनुवाद करने की कोशिश करता हूँ ।

    माछ- भात तीत भेल
    दही- चिन्नी मिठ्ठ भेल
    खाकऽऽ टर्रर छी ।

    अर्थ--------

    मछली चावल तीखा (मिर्च) है
    दही चीनी मीठा है
    खाकर पड़े हुए है ।

    मिथिलांचल में भोजन पदार्थ के रूप में मछली चावल और दही का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है । इनके लिये लोग अपना जरूरी कार्य भी छोड़ देते है । कहने का मतलब है निश्चिन्त होकर खाते है और पड़े रहते है ।


    कारी मेघ
    कादो थाल
    झर झर बुन्नी
    चुबैत चार ।

    अर्थ----

    काले काले भयंकर मेघ
    चारो तरफ फैला हुआ कीचड़
    झमाझम बरसात
    और टूटे हुए छ्प्पर (खर-पतवार और खपड़े से बनी हुयी छत) से रिसता(बहता) पानी जो गरीब के घर को नरक बना देता है । मैनें देखा है अपने गांव में ।

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  4. बेमिशाल है ये आपकी रचना...चन्दन जी ...आभार ...

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  5. वाह बहुत ही सुंदर और प्यारी रचना! तस्वीर भी बहुत अच्छी लगी! रचना की पहली लाइन "माछ भात" बड़ा अच्छा लगा क्यूंकि ये बंगला भाषा में कहते हैं "मछली चावल " को!

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  6. हां बबली जी, मैथिली और बंगला बहुत ही करीबी और एक ही परिवार की भाषा है । बहुत ही समानता है दोनों भाषाओं में ।

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  7. बहुत सुन्दर! हमेशा की तरह........

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  8. चन्दन बउवा,
    इ तो बहुते नीक भेल...
    काहे की आजे हम किसी से मैथिली भाषा की बात किये और तुम्हरा ब्लॉग पर भगवान् चहुंपा दिए ...

    माछ- भात तीत भेल
    दही- चिन्नी मिठ्ठ भेल
    खाकऽऽ टर्रर छी

    बहुत ही बढियाँ है ...
    इ तो मैथिली में हाइकु हो गया है बबुवा..
    अरे लिखते रहो....हम तो बहुते खुस हो गए भाई पढ़ के..
    आर्शीवाद..

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  9. अदा दी ,

    आपने इतनी अच्छी टिप्पणी की , बहुत बहुत आभार । यह जानकर खुशी हुई की आप मैथिली जानती है । और जब आपने आशिर्वाद दिया है तो और अच्छा लिखने की कोशिश करुगां । इसी तरह मनोबल बढ़ाते रहिये ।

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  10. भाई यह तो मैथिली के हाइकू जैसा लगता है बधाई

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  11. सुन्दर है जी यह मैथिल हाइकू। इसके शब्द हमारी भोजपुरी में भी काफी मिलते हैं।

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  12. chandan bauwa,
    ham maithili nahi jaante hain lekin seekhna zaroor chahenge.
    tum hi seekhana accha..

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  13. chandan ji aap ko to kavi hona chahea
    aap bahut achha lekhate hai

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