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मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

ख़्वाब, परिंदा और कहानी

 

(केरल में पालघाट दर्रा जो केरल को तमिलनाड़ू तथा कर्नाटक से जोडता हैं और सुन्दर पहाड़ी का दृश्य)

 

 

 

 

 

 

आधे अधूरे ख़्वाब

और यह सिमटता जहान

अपने हीं अन्दर

बार बार

खुद को

ढूँढता रहा हूँ मैं ।

 

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वक्त का परिंदा

और यह छोटी सी जिंदगी

न जाने कौन सी अँधेरी गली में

बार बार

खुद को

खोता रहा हूँ मैं ।

 

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अधूरी यह कहानी

और अनकहे शब्द कितने

अपनी ही राह का काँटा

बार बार

खुद को 

बनाता रहा हूँ मैं ।