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शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

केरल, ओणम का त्योहार और महाबली-२

Kathakali_of_kerala भारत में जितने भी महत्वपूर्ण त्योहार और पर्व मनाये जाते है, सभी के पीछे कोई न कोई दंतकथा या पौराणिक कथा छिपी  है I पिछली पोस्ट केरल, ओणम का त्योहार और महाबली में हमनें केरल मे मनाया जाने वाला पर्व ओणम की चर्चा की थी I ओणम त्योहार के मनाये जाने के पीछे भी  पौराणिक कथायें छिपी हुई है I  अनेक पौराणिक कथाओं में राजा महाबली की कहानी सबसे प्रचलित और महत्वपूर्ण है I

ऐसा कहा जाता है की कभी महाबली केरल के प्रातापी राजा हुआ करते थे I महाबली को मावेली और ओनथप्पन के नाम से भी जाना जाता है I राज्य की जनता उन्हें बहुत ही प्यार और सम्मान देती थी I चारो तरफ़ न्याय और सत्य का बोल बाला था I  जनता बहुत ही खुश थी I

विरोच्छन महाबली के पिता और प्रहलाद पितामह थे I असुर कुल का होते हुए भी महाबली भगवान विष्णु के प्रचन्ड भक्त थे I अपनी शक्ति और वीरता के कारण उन्हें महाबली चक्रवर्ती कहा गया I राजा महाबली के बढते हुए सम्मान और प्रताप को देखकर देवताओ में खलबली मच गयी I वे राजा महाबली के पतन का मार्ग ढूंढने लगे I सहायता के लिये वे देवमाता अदिती के पास पहुचें, ताकि भगवान विष्णु की सहायता ली जा सके I

कहा जाता है की महाबली बहुत ही दानवीर थे I जो कोई भी उनके पास कुछ मांगने आता , वे उसकी ईच्छापूर्ती जरूर करते I परिक्षा लेने के उद्देश्य से भगवान विष्णु ने बौने ब्राह्मण वामन का रूप धारण कर महाबली के पास पहुचें I वामन ने राजा महाबली से जमीन का एक छोटा स टुकड़ा मागां तो महाबली ने कहा आप अपनी ईच्छानुसार जितनी जमीन चाहे ले लें I वामन ने कहा कि उन्हें बस तीन कदम जमीन चाहिये I पहले तो महाबली बहुत ही चकित हुए पर तुरन्त अपनी सहमती दे दी I

असुर गुरू शुक्राचार्य ने तुरन्त महसूस कर लिया की यह कोई साधारण पुरुष नहीं है और महाबली को चेतावनी दी I पर दानशील राजा ने कहा कि एक सम्राट के लिये अपने वचन से पीछे हटना पाप के समान है I महाबली भगवान विष्णु को एक बौनें ब्राह्मण के रुप में होने की कल्पना नहीं कर पाये I

जैसे ही महाबली ने भूमि देने का वचन दिया वामन का शरीर बढ़ने लगा और पूरे ब्रह्मान्ड के आकार का हो गया I वामन ने एक कदम में पूरी धरती को और दूसरे कदम में पूरे आकाश को नाप लिया I तब वामन ने पूछा की वह अपना तीसरा कदम कहां रखे I अब जाकर महाबली को विश्वास हुआ की यह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं है I विनम्रता से वामन के पैरो पर अपना सर रखते हुए महाबली ने कहा की वह अपना तीसरा कदम उसके सर पर रख दे ताकि उसके वचन का मान रह जाये I वामन के पैर रखते ही महाबली पाताल लोक चले गये I महाबली ने वामन से अपनी सही पहचान प्रकट करने के लिये अनुरोध किया I तब भगवान विष्णु अपने वास्तविक भव्य रूप में आकर महाबली से वरदान मांगने के लिये कहा I

अपनी प्रजा के प्रति आगाध प्रेम के कारण महाबली ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि उसे वर्ष में एक बार अपने राज्य केरल आने की अनुमती दी जाय I भगवान विष्णु बहुत ही प्रसन्न हुए और कहा की सबकुछ खोते हुए भी महाबली को विष्णु और उनके भक्तों द्वारा हमेशा प्रेम किया जायेगा I

यही ओणम का दिन है जब महाबली वर्ष में एक बार केरल भ्रमण करने के लिये आते है  और केरल की जनता उनका भरपूर स्वागत करती है I

 

(वैसे तो यह मात्र एक पौराणिक कथा है और इसकी सत्यता की परिक्षा नहीं ली जा सकती I पर सबसे बड़ी चीज होती है विश्वास I और जब हम विश्वास (Believe) करने लगते है तब उर्जा का अथाह श्रोत खुल जाता है I मनुष्य का जीवन भी तो इसी विश्वास पर टिका हुआ है)

                                                              (चित्र गूगल सर्च से साभार)