इतने वर्षों के बाद,
सोचा, खेलूँगा तुम्हारे संग होली,
लगा दूंगा, थोड़ा सा गुलाल,
तुम्हारे गालों पर,
कुछ रंग जा बसेंगे,
तुम्हारी माँग में ।
ढ़ूंढ़ा अपनी पोटली में,
पर रंग कहाँ बचे थे वहाँ ।
शायद पुराने बक्शे में हो,
पर सबकुछ तो,
साथ ले गयी थी तुम ।
बचा क्या रह गया था,
मेरे पास ।
हाँ याद आया,
तुम्हारे जाने के बाद,
अलमारी में पड़ी,
तुम्हारी सिन्दूर की डिब्बी,
फेंक आया था,
पास के तालाब में ।
आज तक सूखी नहीं यह तालाब,
बस मैं हीं पतझड़ हो गया ।
बहुत सुन्दर प्रेम कविता ।
जवाब देंहटाएंwaah waah !!
जवाब देंहटाएंChandan Bauwa prem geet likhe ho..are bahute sundar hai..
didi..
बहुत सुन्दर एहसास
जवाब देंहटाएंजिस दरख्त के पास तालाब है वह सूखा ही क्यों
बहुत सुन्दर एहसास
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना है...
जवाब देंहटाएंआज तक सूखी नहीं यह तालाब,
जवाब देंहटाएंबस मैं हीं पतझड़ हो गया ।
बहुत खूब । शुभकामनायें
dil ko chu lene wali rachna...bahut sundar...
जवाब देंहटाएंपतझड़ हो गए ... ... .
जवाब देंहटाएं--
कोई बात नहीं ... ... .
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कारण -
पतझड़ के बाद जरूर आता है वसंत!
वसंत से प्रेरित होकर मुस्कराता है कंत!
भावों को इतनी सुंदरता से शब्दों में पिरोया है
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....
आज तक सूखी नहीं यह तालाब,
जवाब देंहटाएंबस मैं हीं पतझड़ हो गया ।
आपने इन पन्क्तियो मे अपनी कवि मन की निहसहायता का गजब चित्रन किया है . आपकी सुंदर रचना मे गजब की प्रेम विरह को कवि की भावनाओ के द्वारा दिखलाया है . धन्यवाद चन्दन .
आज तक सूखी नहीं यह तालाब,
जवाब देंहटाएंबस मैं हीं पतझड़ हो गया ।
आपने इन पन्क्तियो मे अपनी कवि मन की निहसहायता का गजब चित्रन किया है . आपकी सुंदर रचना मे गजब की प्रेम विरह को कवि की भावनाओ के द्वारा दिखलाया गया है . धन्यवाद चन्दन .
बहुत ही बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना प्रस्तुत किया है आपने! दिल को छू गयी आपकी ये शानदार रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंHolee ke rangon see khoobsoorat,
जवाब देंहटाएंEk aur kavitaa !!
Congratulations !!!
अरे वाह! रंग ढंग बदले नज़र आ रहे हैं इधर के.. बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत भाव, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंbahut hi pyari rachna chandan...
जवाब देंहटाएंआज तक सूखी नहीं यह तालाब,.........( sookha )
जवाब देंहटाएंबस मैं हीं पतझड़ हो गया ।
ahsaaso kee safal abhivykti.........