मैनें देखा नहीं है,
उगते हुए सूरज को वर्षों से ।
छिपकर बैठा है,
प्राचीन शैतान !!!
कोशिश करता हूं जब भी…
कि अपनी आंखे खोलूं,
नींद में डूब जाता हूं मैं ।
देखता हूं जब भी,
दूर से आते हुए प्रकाश को,
और फ़िर,
विकृत और सिमटते हुए प्रतिबिंब को,
सच की तलाश में जुट जाता हूं मैं ।
मेरी तरह,
कई लोगो नें,
देखा नहीं है उगते हुए सूरज को,
वर्षो से ।
और हम मान बैठे है….
हमें बचा लिया जायेगा ।