गुलमोहर का फूल
सफ़र रुकता नहीं, पांव थमते नहीं, बस चलते जाना है.......चलते जाना है ।
Pages
मुखपृष्ठ
सोमवार, 4 मई 2015
विवश आदमी
झुकाता है शीश ।
खूंटे को ही समझता है
अपना ईष्ट ।
आँखो पर पट्टियाँ बांधे
लगातार बार - बार
कोल्हू के बैल की तरह
लगाता चक्कर ।
सभ्यता के खूंटे में बंधा
विवश आदमी ।
************
2 टिप्पणियां:
paras
5 मई 2015 को 7:30 pm बजे
Satya vachan......
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
paras
5 मई 2015 को 7:30 pm बजे
Satya vachan......
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Satya vachan......
जवाब देंहटाएंSatya vachan......
जवाब देंहटाएं