चाय,
एक प्याली चाय
सिर्फ चाय नहीं
यह देती है जीवन
उस मरे हुए आदमी को
जो बच निकलता है
सुबह की खूबसूरत मौत से ।
और फिर तैयार होता है
एक आनेवाली मौत के लिये ।
अगर आप कहेंगे कि
चाय पीना, एक नशा है
तो मंजूर है हमें यह नशा ।
एक प्याली चाय
आप खरीद सकते है
दो या तीन रुपये में ।
मिल जायेगी
एक चाय की दूकान
आपको किसी भी बाजार में
बस स्टाप पर
या किसी चौक पर ।
या फिर
अगर आप जानते है
चाय बनाना
तो यह आपकी महानता है ।
यहाँ ज्यादातर लोगो को
नसीब हो जाती है चाय ।
कुछ लोग सुबह के नास्ते में
निगल जाते है
रात की बची हुई सूखी रोटियां
चाय के साथ ।
कुछ लोगों को
‘दानेदार’ या ‘लीफ़-टी’ पसंद है ।
कुछ ‘डस्ट’ से ही चला लेते है
अपना काम ।
कुछ लोग पीते है चाय
स्वाद के लिये
और कुछ
महज टालने के लिये थोड़ी देर तक भूख ।
आजकल चाय भी बहुत
महंगी हो गयी है ।