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रविवार, 11 अक्तूबर 2009

मेरे होने का मतलब

 

जिन्दगी की प्रयोगशाला में  बहुत सारे प्रयोग चलते रहते हैं । कुछ मेरे अंदर  चल रहे है । कुछ आपके अंदर भी चल रहे होंगे । देखते है ये प्रयोग सफल होते है की नहीं । वैसे  इन प्रयोगों के बिना जीवन का बहुत अर्थ भी नहीं । सफलता और असफलता तो आनी जानी रहती है । आत्मा तो बस चलने में है, निर्विकार, निर्भीक और निर्विरोध !!!!

(गाजर के फूल)

रात सिमटती गयी,

दिन निकलता गया,

रंग भरते गये,

मैं निखरता गया ।

संग तेरा जो पाया,

तो लौ जल गयी,

रौशनी मेरे अंदर,

भरती ही गयी ।

 

तुम हीं तुम हो यहाँ 

मैं कहीं भी नहीं,

मेरे होने का मतलब,

तुम ही तो नहीं ।