सफ़र रुकता नहीं, पांव थमते नहीं, बस चलते जाना है.......चलते जाना है ।
विक्षिप्त सा जीता हूँ
एक ठण्डी सी जिन्दगी
और मर जाता हूँ चुपचाप ।
होता है इतना
सघन अँधेरा
कि भटकती रहती है
मेरी आत्मा
तुम्हारी तलाश में
शुरू से अंत तक ।