सफ़र रुकता नहीं, पांव थमते नहीं, बस चलते जाना है.......चलते जाना है ।
तुम हँसती हो
और
हजार – हजार फूल खिल जाते हैं
मेरे जीवन में ।
तुम रोती हो
फैल जाता है अँधेरा
दूर - दूर तक
जब तुम चुप रहती हो
निर्वात से भर जाती है
मेरी आत्मा ।
न जाने तुम
क्या चाहती हो ?