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गुरुवार, 13 अगस्त 2009
बलिदान
मातृभूमि के चरणों में, चाहिये एक बलिदान,
वह इंसान इंसान क्या जो दे न सके बलिदान ।
हे ईश्वर दे वरदान, कर सकूं कुछ कार्य महान,
चाहता हूँ भारत को बनाना हर क्षेत्र में महान ।
दे दिया अपना बलिदान, जिन आजादी के वीरो ने,
तेरे लिये दिया हे माता अपना शीश उन अहीरो ने ।
आजाद भगत खुदीराम बाँध लाल सेहरा सर पे,
अर्पण कर दिया स्वंय को देशरूपी कंगूरे की नींव में ।
मरते गये परन्तु दस दस को मारते गये,
मरते मरते भी तुझको सलाम करते गये ।
सौंप गये आजाद भारत को सच्चे मन से हमें,
करनी है तेरी रक्षा प्राण देकर भी हमें ।
तेरे सम्मान के लिये सरहद पर मर रहा हिन्दुस्तानी,
बूंद बूंद रक्त बहाकर उत्सर्ग करता है अपनी जवानी ।
बन्धु बान्धवों माता पिता को छोड़कर,
न्योछावर करने आ गया रिश्ता घर से तोड़कर ।
चल पड़ा हूँ इस राह पर, अब न रुकूँगा कभी,
महाप्रलय क्यों न आ जाये मिलकर रक्षा करेगे तेरी हम सभी ।
(१ जुलाई १९९९)
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