साँझ हुई थी
सब चुप थे ।
कहीं बूँद गिरी थी
बादल पिघले थे ।
चुप चाप खड़ा
सहमा सा था ।
न जाने कब से
खुद से ही
मैं भाग रहा था ।
सब चुप थे ।
कहीं बूँद गिरी थी
बादल पिघले थे ।
चुप चाप खड़ा
सहमा सा था ।
न जाने कब से
खुद से ही
मैं भाग रहा था ।