साँझ हुई थी
सब चुप थे ।
कहीं बूँद गिरी थी
बादल पिघले थे ।
चुप चाप खड़ा
सहमा सा था ।
न जाने कब से
खुद से ही
मैं भाग रहा था ।
सब चुप थे ।
कहीं बूँद गिरी थी
बादल पिघले थे ।
चुप चाप खड़ा
सहमा सा था ।
न जाने कब से
खुद से ही
मैं भाग रहा था ।
Sahma sa tha.. na zaane kyon khud se hi bhag raha tha
जवाब देंहटाएंSahma sa tha.. na zaane kyon khud se hi bhag raha tha
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कुणाल जी !!!
हटाएंAchhi rachna hai chandan babu. Aap punah sakriya hue, jan kar prassanata hue.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पारस बाबू !
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