वह धोता है अपनी तलवार
रक्त की ऊष्मा से ।
वह चुनता है सत्य को
ताकि समय की स्याही
उसे याद रख सके ।
किन्तु बच नहीं पाता वह भी
समय द्वारा
खण्डहर होने से ।
रक्त की ऊष्मा से ।
वह चुनता है सत्य को
ताकि समय की स्याही
उसे याद रख सके ।
किन्तु बच नहीं पाता वह भी
समय द्वारा
खण्डहर होने से ।
Agreed with your feelings expressed through your poem. anyone who wants name and fame with true values have to also taste and smell the " sword of time".... keep it up chandan ji .. it feels good to see your poem after a long gap....
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