मंगलवार, 12 मई 2015
सोमवार, 4 मई 2015
विवश आदमी
झुकाता है शीश ।
खूंटे को ही समझता है
अपना ईष्ट ।
आँखो पर पट्टियाँ बांधे
लगातार बार - बार
कोल्हू के बैल की तरह
लगाता चक्कर ।
सभ्यता के खूंटे में बंधा
विवश आदमी ।
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बुधवार, 29 अप्रैल 2015
शनिवार, 25 अप्रैल 2015
गजेन्द्र
गजेन्द्र गए तुम ऊपर
वाल पर चढ़ गया एक और स्टेटस
- इंक़लाब ज़िंदाबाद ।
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गजेन्द्र बढ़ो आगे अब तुम
ठेल - ठाल चढ़ जाओ सूली
- जय जवान जय किसान ।
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प्राण दिए व्यर्थ ही
गजेन्द्र गए बिना अर्थ ही
- दिल्ली चलो दिल्ली चलो ।
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महान मेरा तंत्र यह
गजेन्द्र सुनो मंत्र यह
- तुम मुझे रक्त दो मैं तुम्हें लोकतंत्र दूँगा ।
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सोमवार, 20 अप्रैल 2015
दूरी आदमी - आदमी के बीच की
आदमी को देखो
चाँद पर चला गया है वह ।
और कहता है
उससे भी आगे जाने की
फिराक में है वह ।
उसके दूत निकल चुके है
अंतरिक्ष की अनंत सैर को
पृथ्वी और सूर्य की
संधी से बाहर
असीम संभावनाओं की तलाश में ।
प्रकाश की गति को
प्राप्त कर लेना चाहता है आदमी
और वह सफल भी होगा ।
बस आदमी और आदमी का विज्ञान
नहीं कर पाया तय दूरी
आदमी - आदमी के बीच की ।
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चाँद पर चला गया है वह ।
और कहता है
उससे भी आगे जाने की
फिराक में है वह ।
उसके दूत निकल चुके है
अंतरिक्ष की अनंत सैर को
पृथ्वी और सूर्य की
संधी से बाहर
असीम संभावनाओं की तलाश में ।
प्रकाश की गति को
प्राप्त कर लेना चाहता है आदमी
और वह सफल भी होगा ।
बस आदमी और आदमी का विज्ञान
नहीं कर पाया तय दूरी
आदमी - आदमी के बीच की ।
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