(फोर्ट कोच्चि में लिया गया फोटो)
-------------------------------------------------------------------------------------
माछ- भात तीत भेल
दही- चिन्नी मिठ्ठ भेल
खाकऽऽ टर्रर छी ।
-------------------------------------------------------------------
कारी मेघ
कादो थाल
झर झर बुन्नी
चुबैत चार ।
-----------------------------------------------------------------------------------
(चिन्नी= चीनी, मिठ्ठ= मीठा, कारी= काला, बुन्नी= बरसात, तीत= तीखा, चुबैत= टपकना, चार= छप्पर)
chandan nice picture bt not understand meaning !
जवाब देंहटाएंinspite of the fact you gave the meaning, then too it was not understandable....
जवाब देंहटाएंhowever new template and pics looks good
!!
bad nik.. likhait rahu.. hamara sabh ke sunawait rahu.. badhaaai....
जवाब देंहटाएंपंकज जी और दर्पण जी क्षमा चाहता हूँ । मैं हिन्दी अनुवाद करने की कोशिश करता हूँ ।
जवाब देंहटाएंमाछ- भात तीत भेल
दही- चिन्नी मिठ्ठ भेल
खाकऽऽ टर्रर छी ।
अर्थ--------
मछली चावल तीखा (मिर्च) है
दही चीनी मीठा है
खाकर पड़े हुए है ।
मिथिलांचल में भोजन पदार्थ के रूप में मछली चावल और दही का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है । इनके लिये लोग अपना जरूरी कार्य भी छोड़ देते है । कहने का मतलब है निश्चिन्त होकर खाते है और पड़े रहते है ।
कारी मेघ
कादो थाल
झर झर बुन्नी
चुबैत चार ।
अर्थ----
काले काले भयंकर मेघ
चारो तरफ फैला हुआ कीचड़
झमाझम बरसात
और टूटे हुए छ्प्पर (खर-पतवार और खपड़े से बनी हुयी छत) से रिसता(बहता) पानी जो गरीब के घर को नरक बना देता है । मैनें देखा है अपने गांव में ।
बेमिशाल है ये आपकी रचना...चन्दन जी ...आभार ...
जवाब देंहटाएंThankyou
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर और प्यारी रचना! तस्वीर भी बहुत अच्छी लगी! रचना की पहली लाइन "माछ भात" बड़ा अच्छा लगा क्यूंकि ये बंगला भाषा में कहते हैं "मछली चावल " को!
जवाब देंहटाएंहां बबली जी, मैथिली और बंगला बहुत ही करीबी और एक ही परिवार की भाषा है । बहुत ही समानता है दोनों भाषाओं में ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! हमेशा की तरह........
जवाब देंहटाएंचन्दन बउवा,
जवाब देंहटाएंइ तो बहुते नीक भेल...
काहे की आजे हम किसी से मैथिली भाषा की बात किये और तुम्हरा ब्लॉग पर भगवान् चहुंपा दिए ...
माछ- भात तीत भेल
दही- चिन्नी मिठ्ठ भेल
खाकऽऽ टर्रर छी
बहुत ही बढियाँ है ...
इ तो मैथिली में हाइकु हो गया है बबुवा..
अरे लिखते रहो....हम तो बहुते खुस हो गए भाई पढ़ के..
आर्शीवाद..
अदा दी ,
जवाब देंहटाएंआपने इतनी अच्छी टिप्पणी की , बहुत बहुत आभार । यह जानकर खुशी हुई की आप मैथिली जानती है । और जब आपने आशिर्वाद दिया है तो और अच्छा लिखने की कोशिश करुगां । इसी तरह मनोबल बढ़ाते रहिये ।
भाई यह तो मैथिली के हाइकू जैसा लगता है बधाई
जवाब देंहटाएंjha ji .... nik lagal chhe
जवाब देंहटाएंसुन्दर है जी यह मैथिल हाइकू। इसके शब्द हमारी भोजपुरी में भी काफी मिलते हैं।
जवाब देंहटाएंbahiit khoob .......... arth ke saath samajh aa gayee aapki rachna .........
जवाब देंहटाएंchandan bauwa,
जवाब देंहटाएंham maithili nahi jaante hain lekin seekhna zaroor chahenge.
tum hi seekhana accha..
chandan ji aap ko to kavi hona chahea
जवाब देंहटाएंaap bahut achha lekhate hai