बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

फूल का कहना सुनो

 

 

 

 

(चित्र- भैया रावेंद्रकुमार रवि)

 

 

 

 

 

फूल का कहना सुनो

यह कहता कुछ नहीं

पर

तुम सुन सकते हो

सबकुछ ।

उल्लास, प्रेम, करुणा, दर्द

सबकुछ ।

तुम सुन सकते हो

जीवन के हर क्षण

रंगों का कण-कण

तुम सुन सकते हो

सबकुछ ।

तुम देख सकते हो

इसमें जीवन का

असीम सौंदर्य ।

फूल

बगीचे में खिला हो

या फिर

खिला हो

किसी ऊँचे दरख्त पर ।

या फूल हो जंगली

फूल तो फूल है ।

यह खिल जाता है कहीं भी

चाहे

कांटे, कीचड़ और पहाड़ हो

या फिर हो शुष्क रेत

यह खिल जाता है ।

जीवन की मुस्कान लिये

इसलिये

फूल का कहना सुनो ।

सुनो

चुपचाप सुनो………

 

 

(बहुत ही हर्ष के साथ सूचित करना चाहता हूँ कि मेरे ब्लाग ‘गुलमोहर का  फूल’ की समीक्षा 4 अक्टूबर को iNext हिन्दी समाचार पत्र में ‘गुलमोहर की छांव’ नामक शीर्षक से प्रकाशित हुई थी । समीक्षा करने के लिये मैं आदरणीय श्रीमती प्रतिभा कटियार जी का हृदय से आभारी हूँ । मैं सभी सम्माननीय ब्लागरों एवं प्रिय मित्रों को हृदय से धन्यवाद प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय देकर मेरा उचित मार्गदर्शन किया और मुझे अपार मानसिक शक्ति प्रदान की । मैं श्रीमान बी एस पाबला जी का आभारी हूँ जिन्होनें इस समाचार को अपने ब्लाग प्रिंट मीडिया पर ब्लाग चर्चा पर प्रकाशित किया । अगर मैं आप सभी शुभचिंतको का नाम लिखकर आभार प्रकट करूं तो सूची बहुत लम्बी हो जायेगी अतः इसके लिये मुझे क्षमा करें । एक बार पुनः आप सभी को कोटि-कोटि धन्यवाद)

17 टिप्‍पणियां:

  1. badhai iNext ke liye...
    bahut accha post, acchi kavita....
    lage raho..

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  2. wakai MITRA ful bina kuch kahe hi sabkuch kah deti hai........
    sundar rachana..........

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  3. chandan ji

    ye to bahut khushi ki baat hai ki aapki ye poem print me aayi hai ..iske liye badhai sweekar kare..

    aur haan ye kavita bahut sundar ban padhi hai ..
    gulmohar mere pasandida phulo me se ek hai .. aapne acche bimbo ka prayog kiya hai ..

    meri badhai sweekar kare..

    dhanywad

    vijay
    www.poemofvijay.blogspot.com

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  4. आदरणीय विजय जी,

    टिप्पणी के लिये आभार । क्षमा करें पर कहना चाहता हूँ कि यह कविता नहीं बल्कि मेरे ब्लाग की समिक्षा छपी थी । आभार

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  5. बहुत सुन्दर रचना. बेहतरीन

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  6. बहुत सुंदर है यह कविता!
    जीवन का सबसे सुंदर और अनूठा राग बज रहा है इसमें!
    इसे सुनने के लिए के लिए कान नहीं मन चाहिए!

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  7. The flower lives ever in the 'present', devoid of past memories, and free from the future imaginations.
    It is utterly in the eternal timeless moment of 'now'. It may 'die' any moment. It remains yet beautiful, and alive too, because its beauty is ever untouched by death. Like 'LOVE'.
    It is the living example, if we just hear it, listen to its unspoken, yet express words, we become one with its splendour.
    Thanks for the eloquent poetry.

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  8. Respected vinay jee,


    Thank you very much for really a nice comment. you are most welcome on my blog.

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  9. चन्दन भाई कविता अच्छी है और बधाई आपके ब्लॉग की समीक्षा के लिए

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  10. very nice expressed feelings...very nice vision...of seeing flower and through it life...very nice

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  11. माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
    क्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?

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