रविवार, 11 अक्तूबर 2009

मेरे होने का मतलब

 

जिन्दगी की प्रयोगशाला में  बहुत सारे प्रयोग चलते रहते हैं । कुछ मेरे अंदर  चल रहे है । कुछ आपके अंदर भी चल रहे होंगे । देखते है ये प्रयोग सफल होते है की नहीं । वैसे  इन प्रयोगों के बिना जीवन का बहुत अर्थ भी नहीं । सफलता और असफलता तो आनी जानी रहती है । आत्मा तो बस चलने में है, निर्विकार, निर्भीक और निर्विरोध !!!!

(गाजर के फूल)

रात सिमटती गयी,

दिन निकलता गया,

रंग भरते गये,

मैं निखरता गया ।

संग तेरा जो पाया,

तो लौ जल गयी,

रौशनी मेरे अंदर,

भरती ही गयी ।

 

तुम हीं तुम हो यहाँ 

मैं कहीं भी नहीं,

मेरे होने का मतलब,

तुम ही तो नहीं ।

26 टिप्‍पणियां:

  1. तुम हीं तुम हो यहाँ
    मैं कहीं भी नहीं,
    मेरे होने का मतलब,
    तुम हीं तो नहीं ।

    अत्यंत भावपूर्ण कविता जो सहज ही दिल को छु लेती है

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  2. तुम हीं तुम हो यहाँ

    मैं कहीं भी नहीं,

    मेरे होने का मतलब,

    तुम हीं तो नहीं ।

    वाह चन्दन भाई गजब

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  3. दिल से निकली हुई बिल्‍कुल सहज अभिव्‍यक्ति !!

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  4. तुम हीं तुम हो यहाँ

    मैं कहीं भी नहीं,

    मेरे होने का मतलब,

    तुम हीं तो नहीं ।..mera hona is baat ki gwahi hai ki tum ho ...

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  5. संग तेरा जो पाया,
    तो लौ जल गयी,
    रौशनी मेरे अंदर,
    भरती ही गयी...
    ab to bas ye sang bana rahe.. bahut khoob...

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  6. बहुत गहरी कविता है भई..समझ नही आता कि इसे प्रेम कविता कहूँ, दा्र्शनिक या भक्ति कविता या फिर कोई लेबल न ही आरोपित करूं..और यही इस नन्ही सी खूबसूरती की सफलता है..बधाई

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  7. तुम हीं तुम हो यहाँ
    मैं कहीं भी नहीं,
    मेरे होने का मतलब,
    तुम हीं तो नहीं......

    KISI KE HONE KA MATLAB JAB SOOSRE SE HONE LAGE TO VO PREM KI UNKRISHT ANUBHOOTI HOTI HAI .... SUNDAR RACHNA HAI AAPKI ....

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  8. श्योर - जिन्दगी सतत एक्स्पेरिमेण्टेशन की प्रक्रिया का नाम है!

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  9. तुम हीं तुम हो यहाँ
    मैं कहीं भी नहीं,
    मेरे होने का मतलब,
    तुम हीं तो नहीं ।

    bahut khoob .........

    dil se nikli huyi ek awaaz........

    bahut achcha laga padh ke

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  10. तुम हीं तुम हो यहाँ

    मैं कहीं भी नहीं,

    मेरे होने का मतलब,

    तुम हीं तो नहीं ।.
    bahut sundar abhivyakti hai shaayad pahalee baar aapakaa blaag dekhaa hai bahut sundar likhate ho aasheervaad

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  11. Sachmuch !!
    aisaa hee hotaa hai !!
    Ek khoobsoorat ehsaas ko shabd dene ke liye abhaar !

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  12. lagata hai ki kisi priye chiz ka aagaman hua hai aapke hriday me MITRA.........isiliye dil ki baat nikal hi gai.....
    badhai aisi khoobsarat rachana k liye

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  13. तुम हीं तुम हो यहाँ
    मैं कहीं भी नहीं,
    मेरे होने का मतलब,
    तुम हीं तो नहीं ।
    are waah..ye panktiyaan to kamal kar gayi..
    bahut hi sundar..
    Chandan Bauwa...tumko padhna bahut accha lagta hai..
    Di...

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  14. चन्दन भाई ! बेहद खूबसूरती और सहजता से रच गये ये पंक्तियाँ -
    "तुम हीं तुम हो यहाँ
    मैं कहीं भी नहीं,
    मेरे होने का मतलब,
    तुम हीं तो नहीं ।"

    ब्लॉग खूबसूरत है । आता रहूँगा । आभार ।

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  15. kavita bahut achcchi hai... jhaji mana ki tumhe pholo se lagav hai...par gajar ka phool... bhai mujhe to gajar pasand hai.

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  16. बहुत हलके हो गए होंगे आप इस कविता को लिख कर ऐसा मुझे लगता है.....आभार

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  17. वाह वाह बहुत खूब! अत्यन्त सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  18. स्वयं में उस अज्ञात को देख लेना
    और वह भी रात से पौ पटने तक
    और फिर सुबह से सांझ तक
    जीवन में अनेकों रंग भर देता है

    धन्य हैं आप

    शुभकामनाएँ

    http://gunjanugunj.blogspot.com

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  19. तुम हीं तुम हो यहाँ
    मैं कहीं भी नहीं,
    मेरे होने का मतलब,
    तुम ही तो नहीं

    सच और सच के सिवा और कुछ भी नहीं.

    बधाई.
    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  20. कविता तो कविता, भूमिका भी जबरदस्त,,,,सैल्यूट भाई आपको....

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  21. तुम हीं तुम हो यहाँ
    मैं कहीं भी नहीं,
    मेरे होने का मतलब,
    तुम हीं तो नहीं ।

    जी प्रेम गली अति सांकरी त मैं दो न समाएं


    दीपों सी जगमग जिन्दगी रहे
    सुख की बयार चहुं मुखी बहे
    श्याम सखा श्याम

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  22. अत्यंत भावपूर्ण कविता जो सहज ही दिल को छु लेती है

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