मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

ख़्वाब, परिंदा और कहानी

 

(केरल में पालघाट दर्रा जो केरल को तमिलनाड़ू तथा कर्नाटक से जोडता हैं और सुन्दर पहाड़ी का दृश्य)

 

 

 

 

 

 

आधे अधूरे ख़्वाब

और यह सिमटता जहान

अपने हीं अन्दर

बार बार

खुद को

ढूँढता रहा हूँ मैं ।

 

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वक्त का परिंदा

और यह छोटी सी जिंदगी

न जाने कौन सी अँधेरी गली में

बार बार

खुद को

खोता रहा हूँ मैं ।

 

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अधूरी यह कहानी

और अनकहे शब्द कितने

अपनी ही राह का काँटा

बार बार

खुद को 

बनाता रहा हूँ मैं ।

19 टिप्‍पणियां:

  1. वक्त का परिंदा
    और यह छोटी सी जिंदगी
    न जाने कौन सी अँधेरी गली में
    बार बार
    खुद को
    खोता रहा हूँ मैं ।
    zindgi to hoti hi hai choti.. kya kar sakte hain.. aur ye andheri gali bhi zindgi ki hi hai...
    sundar rachna...

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  2. अधूरी यह कहानी
    और अनकहे शब्द कितने
    अपनी राह का काँटा
    बार बार
    खुद को
    बनाता रहा हूँ मैं ।

    haan! kai baar hum apni raah mein khud hi kaante ban jaate hain....

    bahut achchi triveni hain..... sab ne dil ko chhoo liya....

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  3. प्राभावशाली त्रिवेणी .........बधाई!

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  4. चन्दन भाई नमस्कार ,

    आधे अधूरे ख़्वाब

    और यह सिमटता जहान

    अपने हीं अन्दर

    बार बार

    खुद को

    ढूँढता रहा हूँ मैं ।

    बहुत सुन्दर लिखा है आपने

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  5. ख़्वाब ... परिंदा और कहानी , आपकी रचनाएँ दिन-प्रतिदिन अंतर्यात्रा की ओर इशारा करती नजर आ रही हैं । शुभकामनाएँ ! केरल के रमणीक दृश्यों के लिए धन्यवाद ।

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  6. अपने हीं अन्दर
    बार बार
    खुद को
    ढूँढता रहा हूँ मैं .......

    ये सफ़र तो जिंदगी भर चलता रहेगा .......... खुद को ढूंढ़ना भी तो जटिल काम है .......... जीवन भर खुद को नहीं पा पता इंसान ............ सुन्दर RACHNA है ...........

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  7. वक्त का परिंदा

    और यह छोटी सी जिंदगी

    न जाने कौन सी अँधेरी गली में

    बार बार

    खुद को

    खोता रहा हूँ मैं ।

    यह बहुत पसंद आई ..खुद को खोना और पाना यही जीवन का सच है जो कठिन भी है

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  8. बड़ी गहरी अनुभूतियाँ हैं....सोचने पर मजबूर करने वाली....ख़ूबसूरत क्षणिकाएं

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  9. आधे अधूरे ख़्वाब

    और यह सिमटता जहान

    अपने हीं अन्दर

    बार बार

    खुद को

    ढूँढता रहा हूँ मैं ।khud ko tlashte hum khud se hi pare chale jate hai.....

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  10. अधूरी यह कहानी

    और अनकहे शब्द कितने

    अपनी ही राह का काँटा

    बार बार

    खुद को

    बनाता रहा हूँ मैं ।

    बहुत प्यारी कविता, कुल जमा 12 शब्दों में बड़ी बात कह दी

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  11. आधे अधूरे ख़्वाब

    और यह सिमटता जहान

    अपने हीं अन्दर

    बार बार

    खुद को

    ढूँढता रहा हूँ मैं ।


    Bohot sunder ....!!

    अधूरी यह कहानी

    और अनकहे शब्द कितने

    अपनी ही राह का काँटा

    बार बार

    खुद को

    बनाता रहा हूँ मैं ।


    Chandan ji kamaal ki panktiya likh dali hain aapne .....gazab ....!!

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  12. सटीक अतुकान्त........ साधुवाद स्वीकारें..

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  13. भाई मेरे तुम हो भी क्यूट और लिखते भी हो क्यूट.....वाकई....

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  14. Chandan Bauwa,
    Kavita to bahut sundar hai hi...lekin aaj bahut din baat tumko dekhe hain...bahut accha laga...
    kaisa raha tumhara exam ???
    bas tumko dekh ke khush ho gaye to soche bol dein..

    Didi

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  15. atyant hi prernadayak................
    wah mitra wah
    .........i really inspired from dis poem

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