सफ़र रुकता नहीं, पांव थमते नहीं, बस चलते जाना है.......चलते जाना है ।
किनारे को लांघकर
लकीर पर चढ़ता गया मैं ।
लकीर बढ़ती हीं गयी
और रह गया
मैं किनारे पर हीं ।
आखिर यह किनारा
खत्म क्यों नहीं होता ?