बुधवार, 29 अप्रैल 2015
शनिवार, 25 अप्रैल 2015
गजेन्द्र
गजेन्द्र गए तुम ऊपर
वाल पर चढ़ गया एक और स्टेटस
- इंक़लाब ज़िंदाबाद ।
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गजेन्द्र बढ़ो आगे अब तुम
ठेल - ठाल चढ़ जाओ सूली
- जय जवान जय किसान ।
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प्राण दिए व्यर्थ ही
गजेन्द्र गए बिना अर्थ ही
- दिल्ली चलो दिल्ली चलो ।
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महान मेरा तंत्र यह
गजेन्द्र सुनो मंत्र यह
- तुम मुझे रक्त दो मैं तुम्हें लोकतंत्र दूँगा ।
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सोमवार, 20 अप्रैल 2015
दूरी आदमी - आदमी के बीच की
आदमी को देखो
चाँद पर चला गया है वह ।
और कहता है
उससे भी आगे जाने की
फिराक में है वह ।
उसके दूत निकल चुके है
अंतरिक्ष की अनंत सैर को
पृथ्वी और सूर्य की
संधी से बाहर
असीम संभावनाओं की तलाश में ।
प्रकाश की गति को
प्राप्त कर लेना चाहता है आदमी
और वह सफल भी होगा ।
बस आदमी और आदमी का विज्ञान
नहीं कर पाया तय दूरी
आदमी - आदमी के बीच की ।
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चाँद पर चला गया है वह ।
और कहता है
उससे भी आगे जाने की
फिराक में है वह ।
उसके दूत निकल चुके है
अंतरिक्ष की अनंत सैर को
पृथ्वी और सूर्य की
संधी से बाहर
असीम संभावनाओं की तलाश में ।
प्रकाश की गति को
प्राप्त कर लेना चाहता है आदमी
और वह सफल भी होगा ।
बस आदमी और आदमी का विज्ञान
नहीं कर पाया तय दूरी
आदमी - आदमी के बीच की ।
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बुधवार, 15 अप्रैल 2015
समय की स्याही
वह धोता है अपनी तलवार
रक्त की ऊष्मा से ।
वह चुनता है सत्य को
ताकि समय की स्याही
उसे याद रख सके ।
किन्तु बच नहीं पाता वह भी
समय द्वारा
खण्डहर होने से ।
रक्त की ऊष्मा से ।
वह चुनता है सत्य को
ताकि समय की स्याही
उसे याद रख सके ।
किन्तु बच नहीं पाता वह भी
समय द्वारा
खण्डहर होने से ।
मंगलवार, 14 अप्रैल 2015
मैं भाग रहा था ।
साँझ हुई थी
सब चुप थे ।
कहीं बूँद गिरी थी
बादल पिघले थे ।
चुप चाप खड़ा
सहमा सा था ।
न जाने कब से
खुद से ही
मैं भाग रहा था ।
सब चुप थे ।
कहीं बूँद गिरी थी
बादल पिघले थे ।
चुप चाप खड़ा
सहमा सा था ।
न जाने कब से
खुद से ही
मैं भाग रहा था ।
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