सफ़र रुकता नहीं, पांव थमते नहीं, बस चलते जाना है.......चलते जाना है ।
मैं नहीं कहता
कि तुम्हारे लिये
ले आऊँगा तोड़कर
चाँद तारे ।
बना दूँगा पहाड़ को धूल
और
झुका दूँगा आसमान को
जमीन पर ।
मैं तो बस ला पाऊँगा
तुम्हारे लिये
ओस में लिपटे
धूल से सने
डाली से गिरे
कुछ फूल
जिनमें अभी भी बांकी है सुगंध ।