सोमवार, 28 सितंबर 2009

असमंजस

 

 

तुम हँसती हो

और

हजार – हजार फूल खिल जाते हैं

मेरे जीवन में ।

तुम रोती हो

और

फैल जाता है  अँधेरा

दूर -  दूर तक

मेरे जीवन में ।

और

जब तुम चुप रहती हो

निर्वात से भर जाती है

मेरी आत्मा ।

न जाने तुम

क्या चाहती हो ?

36 टिप्‍पणियां:

  1. Mubarak ho es aehsas ke liye...chandan jee...something waiting on my blog for u and accidently that is the answer of ur poem's query....

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  2. एक उलझन!!


    विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. वाह आज तो चंदन से इश्क की खुशबू आ रही है..बहुत खूब ..बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  4. बेहद नाजुक से ख्याल है ......जिसमे भावनाये सिर्फ गोते लगा रही है ...........

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  5. wah chandan bhai....
    khoob bhai unki ye ada...

    ...aur 'us' ada main aapki ye kavita....

    "न जाने तुम
    क्या चाहती हो ?
    "

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  6. झा साहब वो बस आपको पूरी तरह अपने बस में करना चाहती है ...... अच्छा लिखा है ....

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  7. असमंजस दूर हो ..
    बहुत शुभकामनायें ..!!

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  8. जब तुम चुप रहती हो
    निर्वात से भर जाती है
    मेरी आत्मा ।
    न जाने तुम
    क्या चाहती हो ?


    bahut hi khoobsoorat lines hai......... chandan........

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  9. जब तुम चुप रहती हो

    निर्वात से भर जाती है

    मेरी आत्मा ।

    न जाने तुम

    क्या चाहती हो ?


    उनकी चाहत न पूछो मेरे भाई
    उन्हें सिर्फ चाहो और चाहो
    अपने प्रश्न कभी न करो
    उनकी सुनो और सुनो
    और जब वो चुप हो जाएं
    तो उनकी तारीफ करो दिल से
    इससे ज्यादा कुछ न पूछो उनसे

    एक सुंदर भाव अभिव्यक्ति !

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  10. इतनी सुन्दर टिप्पणी के लिये आभार मनोज भारती जी ।

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  11. बहुत ही सुंदर ब्लॉग है आपका....
    विजिट कर के बहुत अच्छा लगा....

    और आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद....
    बस आप के इसी सहयोग कि जरूरत है....

    आभार...
    श्याम सारस्वत...

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  12. वाह बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये भावपूर्ण रचना! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!

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  13. चंदन जी,
    मैं आपको जनता नही लेकिन ब्लोग देख कर कह सकता हूं कि यह कविता एक प्रेम में विरह एक जीव की व्यथा है. अपने उस एकांतमय जिवन के बारे में भी बताएम.

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  14. बहुत-बहुत धन्यवाद...अरे आपका नहीं चंद्रन बाबू, उनका...जिनका आप कविता में जिक्र कर रहे हैं...क्योंकि उनके कारण तो यह कविता है। लिखते रहो...

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  15. चन्दन भाई देर से ही सही आपको विजया दशमी की शुभकामनाये . सुन्दर रचना

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  16. अगर वो चुप है तो कोई तो वजह होगी !!
    बहुत ही भावमयी कविता....

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  17. न जाने तुम
    क्या चाहती हो ? --> ये बड़ा जटिल प्रश्न है भाई

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  18. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है

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  19. चंदन जी, एक बार फिर सबने मुझसे पहले ही सब कुछ कह दिया.
    मेरे कहने को अगर कुछ बचा है तो बस इतना ही कि ........
    मेरी आवाज़ ही परदा है, मेरे चेहरे का ,
    मै हूं खामोश जहां,मुझको वहां से सुनिये!
    किसी शायर का ये शेर , जो आपकी ये रचना पढने के बाद बेसाख्ता ज़ेहन में तैर गया.

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  20. गुलमोहर के फूल से इस बार बहुत अच्छी खुशबू छनकर आई और तरोताज़ा कर गई...अच्छी रचना लिखी है आपने...mubarak

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  21. रौशनी साहू की टिप्पणी ई-मेल द्वारा-----


    Namaskar Chandan ji,

    I read your blog" Gulmohar ka phool".
    Very nice.

    Pata hai Chandan ji mujhe aapki kaun si baat acchi lagi?
    Sabse pahle to aapki Hindi bahut hi acchi hai aur aap hindi me apni bhavnao ki abhivyakti behtrin tarike se kar lete hain.
    Apki rachnaye dil ko chuti hai.

    Aap south se hain, iske bad bhi aapka hindi prem sarahniy hai.

    Apko bahut bahut shubhkamnaye.

    Aap aise hi likhte rahiye.

    Dhanywad.

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  22. हूँ...., ऐसा लगा कोई प्रेमी अपनी आत्मा से बात कर रहा है।

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  23. चंदन जी ,

    आप बूंद-बूंद इतिहास पर आए । धन्यवाद ।

    कृपया मेरा पहला ब्लॉग गूंजअनुगूंज भी एक बार देख लीजिए ।

    http://gunjanugunj.blogspot.com

    सादर,

    मनोज भारती

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  24. तुम हँसती हो

    और

    हजार – हजार फूल खिल जाते हैं

    मेरे जीवन में ।..hzaaro phool mohabbat ke udhar khil gye tumne muskura ke jidhar dekh liya....न जाने तुम
    क्या चाहती हो ?unke chahne ka hi to pata nahi chahlta......behad behad khoobsurat kavita....

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  25. तुम जब हंसती हो तो
    लगता है गांव की कुमुदनी खिलखिला रही हो
    तुम जब रोती है तो
    लगता है दुश्‍मन की बांछें खिल रही तो
    तुम्‍हें देख कर लगता है ऐसे
    जैसे मेरी बागों की खुशबू टिमटिमाते तारों की तरह हो

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  26. Nice poem !
    Thanks for visiting my post.
    Please see my all 3 blogposts.
    Thanks !

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  27. kaise bata dein wo aapko,
    hain dil mein unke aap hi,
    jabki ye jaan kar bhi aap,
    jaan nahi paa rahe ise...

    wo bas chuka hai aapmein,
    dekhte ho khwab usi ka,
    geet ke bol aapke hain,
    ye kahe ja rahe mujhse..

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  28. वाह आज तो चंदन से इश्क की खुशबू आ रही है..बहुत खूब ..बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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