बुधवार, 15 अप्रैल 2009

प्रश्न और अर्थ

कुसुम को किसने कहा खिलो,
पवन को किसने कहा चलो,
अग्नि को किसने कहा जलो।


जीवन में निराश क्यों,
मृत्यु का उपहास क्यों,
प्रेम की तलाश क्यों ।


समय क्यों रुकता नहीं,
अहं क्यों झुकता नहीं,
विचार क्यों रुकता नहीं।


भक्ति में इच्छा कैसी,
शक्ती की समिक्षा कैसी,
विश्वास की परिक्षा कैसी।


रंग क्यों अनेक है,
जीवन क्यों एक है।


प्रश्न का हल नहीं,
अर्थ है सभी वही।

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सारे प्रश्न उत्तर एक का भी नहीं पता है। कविता अच्छी लगी।
    घुघूती बासूती

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  2. बहुत खूब। कहते हैं कि-

    समझ सके तो समझ जिन्दगी की उलझन को।
    सवाल उतने नहीं हैं जबाव हैं जितने।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  3. बहुत सही प्रश्न उठाए हैं लेकिन हरेक के लिए इसके उत्तर अलग अलग ही होते हैं।
    अंतिम पंक्तियां उसी ओर संकेत कर रही हैं-

    रंग क्यों अनेक है
    जीवन क्यों एक है

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  4. Socha hai? socha nahi to socho abhi...

    ...khoobsoorat prashn !!

    ...par nirutarit !

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  5. सबसे अच्छी बात यह है कि
    तुम्हारी कविता में
    सकारात्मकता के दर्शन होते हैं!

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  6. बहुत बहुत धन्यवाद रवि भैया.

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