बुधवार, 5 अगस्त 2009

जीवन-मृत्यु





एक जिज्ञासा,
मन में उभरी,
जीवन क्या है ?
प्रत्युत्तर मिला-
मृत्यु की ओर अग्रसर,
एक अविराम पथ ।

परन्तु,
समय ,
न चाहते हुए भी,
उस यात्री को,
आगे बढ़ने के लिये,
विवश करता है ।

कितना विवश ?
कितना विक्षिप्त ?
कितना क्षुब्ध ?
है मानव,
है मानव का यह समाज ।

डरता है मनुष्य,
मृत्यु के वरण से,
मृत्यु कठोर है,
असुन्दर है ।
पर,
यही तो शाश्वत है ।

मृत्यु जीवन का अन्त नहीं,
जीवन की है यह पूर्णता ।

जीवन मृत्यु के द्वन्द में,
किसने किसको पछाड़ा,
एक प्रश्न,
जीवन या मृत्यु,
या फिर समय ?


15 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन रचना ---
    चिंतन के बिन्दु सहेजे बढिया कविता ---

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  2. यही यथार्थ है जिसे जीवन यात्रा कहते हैं.

    बहुत उम्दा तरीके से उकेरा है. बधाई.

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  3. सरल भाषा मे सहजता से उकेरे गहरे भाव बधाई
    हां एक टाइपिंग अशुद्धि विवश करती है के स्थान पर करता है कर लें
    श्याम सखा श्याम
    गज़ल के बहाने

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  4. मृत्यु जीवन का अन्त नहीं,
    जीवन की है यह पूर्णता ।

    जीवन मृत्यु के द्वन्द में,
    किसने किसको पछाड़ा,
    एक प्रश्न,
    जीवन या मृत्यु,
    या फिर समय ?
    सरल शब्दों मे इतना कठिन सवाल चिन्त्नीय विश्य पर सुन्दर रचना बधाई

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  5. विलक्षण सत्य ..जिस दिन जनम होता है ,जीवन में से ,हर बढ़ता दिन ,कटौती करता जाता है ..उस अन्तिम सत्य की ओर अग्रेसर होते हुए ..
    Darvin ne kaha tha:" Life is exception, death is the rule"

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  6. जीवन को जीवन बनाया किसने,
    शाश्वत मृत्यु कि चीत्कार ने|
    जीवन को मृत्यु से मिलाया किसने,
    समय रूपी पतवार ने|

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  7. Chandan Ji, Bahut Sundar...! Ab mei aapko niyamit padne lagi hu.

    Pratima S.

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  8. श्याम सखा 'श्याम' जी मैनें गलती को सुधार दिया है........कृप्या इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें. आभार.

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  9. बहुत पसंद आयी, आपकी रचना है
    ---
    'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!

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  10. बहुत ही सुंदर एहसास के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना बहुत अच्छी लगी!

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  11. just amazing , kya khoob likha hai mere dost , padhkar man ek khamoshi me chala gaya , bahut dino se soch raha tha ki mruthyu par kuch likhu par aapki post padhkar to man bhar gaya .. naman aapko


    regards

    vijay
    please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com

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  12. "mrityu jeevan ka anta nahi,
    jeevan ki hai yeh purnata. "

    so impressive KEEP IT UP...............

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  13. सुन्दर रचना बहुत अच्छी लगी!
    बधाई.

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