ये मन बड़ा मतवाला है,
न होश में आनेवाला है ।
कभी इस डगर, कभी उस डगर,
रमता रहता है नगर - नगर ।
गाँवो की गलियों में दौड़े,
जैसे मस्त पवन मे भ्रमरें ।
फूल - फूल पर फिरता - फिरता,
मधुरस का पान करता ।
मन का दर्द रखो न मन में,
एक दिन विष बन जायेगा ।
मन की बात निकालो मन से,
कुछ कष्ट दूर हो जायेगा ।
मन क्या सोचे, मन क्या कर ले,
मन बहका ले, मन बहला ले ।
मन चाहे तो मीत बना ले ,
छोटे - बड़ो का भेद मिटा ले ।
मन , मन को मोह ले,
मन , मन ही रो ले ।
मन तड़पा दे , मन हर्षा दे ,
मन जीवन के गीत सुना दे ।
मन के बस में न होना रे,
मन को बस में कर लेना रे ।
मन, मष्तिस्क में जलता रहता है,
तब शिव का भष्म बनता है ।
(14 नवम्बर 1999)
chandan Ji, chandan ki shitalta liye aapki ek aur rachana 'MAN' ,sachmuch man ko chhoo gayi . BADHAAYI HO
जवाब देंहटाएंPratima S.
मन का दर्द रखो न मन में,
जवाब देंहटाएंएक दिन विष बन जायेगा ।
सही कहा है
खूबसूरत अभिव्यक्ति
sunder rahcana mann ke bhav par badhai
जवाब देंहटाएंमन के बस में न होना रे,
जवाब देंहटाएंमन को बस में कर लेना रे ।
मन, मष्तिस्क में जलता रहता है,
तब शिव का भष्म बनता है ।
Behtarin....Bemishal...Badhai ho....
बढ़िया अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया रचना है
जवाब देंहटाएंमन का दर्द रखो न मन में,
जवाब देंहटाएंएक दिन विष बन जायेगा ।
मन की बात निकालो मन से,
कुछ कष्ट दूर हो जायेगा ।
वाह, इस छोटी सी उम्र में इतना अच्छा लिख रहे हैं आप. बधाई
sundar
जवाब देंहटाएंsukomal
saumya
__________umda kavita k liye badhaai !
अत्यन्त सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएं'मन' पर अच्छा रिसर्च किया है...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना के लिए बधाई...
गाँवो की गलियों में दौड़े,
जवाब देंहटाएंजैसे मस्त पवन मे भ्रमरें ।
फूल - फूल पर फिरता - फिरता,
मधुरस का पान करता
----------------/ye accha laga chayavaad aur adhunik yug ki kavita ka mishran.
lagta hai bahut pada hai aapne...
..aur honi bhi chahiye.
waise is kavita main sumitranandan pant ji ki jhalak dikhti hai.
मन का दर्द रखो न मन में,
एक दिन विष बन जायेगा ।
मन की बात निकालो मन से,
कुछ कष्ट दूर हो जायेगा ।
वाह, इस छोटी सी उम्र में इतना अच्छा लिख रहे हैं आप. बधाई
मन के बस में न होना रे,
जवाब देंहटाएंमन को बस में कर लेना रे ।
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां बधाई
सच में ये मन बहुत ही चंचल होता है...........कभी इधर तो कभी उधर.......... दोड़ता रहता है .......... प्यार कभी तो तड़प का एहसास कराता है........... सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंnice poem..
जवाब देंहटाएंbut i feel,Mind is an illusion
It has to be eliminted, not controlled
सुंदर मन!
जवाब देंहटाएंझाजी,
जवाब देंहटाएंआपकी सम्मति के लिए आभारी हूँ. पुण्यश्लोक नागार्जुन का स्मरण ही मन को पवित्र करता है ! यह संस्मरण तीन किस्तों में पूरा होगा, पूरा पढ़के अपना मंतव्य देंगे तो मुझे प्रसन्नता होगी. सप्रीत...
behad khubsoorat bhawabhiwyakti hai ..............bahut bahut aabhaar
जवाब देंहटाएंom arya
दरअसल मन आज़ाद पंछी है ...बहुत खूब चंदन जी
जवाब देंहटाएंदर्द कहाँ ,कब बाँटा किसीने?
जवाब देंहटाएंकिसे फ़ुरसत के , लम्हा ,दो लम्हे ,
रुक जाय , एक दास्ताँ सुन जायें ,
बयानी शुरुभी हुई नही ,
लो ,उठे और और चल दिए !
Ye aapke liye!
'ek sawal tum karo'is blog pe ' pe tippanee ke liye shukriya!
Aapkee rachna pe kya kahun? mere pahle sab kah gaye!
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Man to baavra hota hai.
जवाब देंहटाएं{ Treasurer-S, T }
मेरा मन हो रहा हैं आपसे बतियाने का .....................मनवा पर गज़ब कविता
जवाब देंहटाएंbadhai ho mitra es sundar rachana ke liye.....................aaj aapne mere mann ka mujhse parichay karwa diye.....shukriya
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों का हृदय से आभार.
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