शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

मुक्ति का मार्ग

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 (संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा और विवेकानंद रॉक मेमोरियल, पीछे से सुर्योदय का दॄश्य)

 

 

खरीददार हूं मैं,

खरीदता हूँ मैं,

सबकुछ,

तुम्हारी,

आत्मा, शरीर, मन ।

 

मैं खरीदता हूँ,

समय और आकाश,

ताकि तुम,

पहुँच न सको,

अपनी उर्जा के स्रोत तक ।

 

क्या बेचोगे,

अपने आप को तुम ?

जो भी मूल्य लगाओ,

मैं खरीद लेता हूँ ।

 

मैं खरीदता हूँ,

ताकि तुम देख न सको,

अपनी आँखो में छिपे हुये,

कुछ निशान ।

क्या कोई देख सकता है,

स्वंय अपनी आँखो में ।

 

सदियों पहले तुमनें बेचा था,

स्वंय को,

मेरे हाथो,

ताकि बची रह सके,

तुम्हारी आने वाली पीढ़ी ।

पीढ़ी - दर - पीढ़ी,

न जाने कब से,

यही चलता आया है ।

 

ढूँढ रहे हो युगों से,

तुम मुझे,

कि,

अगर मैं मिल जाऊं,

तो अपना मूल्य,

वापस कर सको मुझे.

पा सको,

अपनी मुक्ति,

मुझसे ।

 

अब तक तो तुम,

भूल भी चुके हो,

कि बिके हुये हो

तुम ।

कैसे ढूँढोगे अपनी,

मुक्ति का मार्ग ?

 

मुझे पता है,

सबकुछ पता है ।

पर,

नहीं बता सकता मैं ।

 

युगों युगों से,

ढूँढ रहा हूँ,

मैं भी,

अपनी मुक्ति का मार्ग ।

शायद मैं तुम्हारा ईश्वर हूँ,

या तुम मेरे I

 

 

(आज उड़न तश्तरी पर आदरणीय समीर लाल जी की पोस्ट पढी "कैसा ये कहर!" । सोचा क्यों न मैं भी विंडोज़ लाईव राइटर पर लिखने का प्रयास करुं। वाकई में ब्लाग लेखन के लिये यह बहुत हीं मजेदार और सुविधाजनक औजार है। उन्हीं के शब्दो में भूल चूक लेनी देनी।)

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही किया इस्तेमाल करके...वाकई कितना सरल है और सज्जा में मददगार. बखूबी इस्तेमाल की बधाई मित्र. :)

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  2. मुझे आपका ये कविता बेहद पसंद आया! आपने एकदम सही किया है इस्तमाल करके और कन्याकुमारी इतना ख़ूबसूरत और शांत जगह है की वहां कोई एक बार जाए तो वापस आने का मन नहीं करता! मैं चार बार जा चुकी हूँ!

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  3. बेहद सुंदर रचना ..'शायद मै तुम्हारा ईश्वर हूँ ...'! क्या ख्याल है !

    http://shamasansmaran.blogspot.com

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  4. बहुत बढ़िया लिखा है, चन्दन कुमार झा जी।
    मैं भी विण्डो लाइव का ही प्रयोग करता हूँ।
    बखूबी इस्तेमाल की बधाई!

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  5. ओह, ध्यान से देखो मित्र - खरीदने बेचने वाला एक ही है।

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  6. और लाइवराइटर ले ऐड-ऑन भी देखें - बहुत प्रयोगधर्मी बनायेंगे आपको!

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  7. badhiya chitr ukera hai...

    मैं खरीदता हूँ,

    समय और आकाश,

    ताकि तुम,

    पहुँच न सको,

    अपनी उर्जा के स्रोत तक ।

    ...wakia pata nahi chal paata, karta kaun aur kaun hai karan?

    "युगों युगों से,

    ढूँढ रहा हूँ,

    मैं भी,

    अपनी मुक्ति का मार्ग ।

    शायद मैं तुम्हारा ईश्वर हूँ,

    या तुम मेरे I"

    adbhoot virodhabhaas...

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  8. BEHAD SANJEEDA AUR LAJAWAAB RACHNA HAI ........ DIL KO CHOO KAR GUZARTI HUYEE ....

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