शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009

तुम्हारी प्रतीक्षा में

 

मैं नहीं कहताfallen flower

कि तुम्हारे लिये

ले आऊँगा तोड़कर

चाँद तारे ।

मैं नहीं कहता

कि तुम्हारे लिये

बना दूँगा पहाड़ को धूल

और

झुका दूँगा आसमान को

जमीन पर ।

मैं तो बस ला पाऊँगा

तुम्हारे लिये

ओस में लिपटे

धूल से सने

डाली से गिरे

कुछ फूल

जिनमें अभी भी बांकी है सुगंध ।

21 टिप्‍पणियां:

  1. जिनमें अभी भी बांकी है सुगंध ।

    बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ........... बहुत सुंदर कविता......

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  2. सच कहूँ तो यह ज्यादा वास्तविक स्वरूप है प्रेम का..यथार्थपूर्ण कामनाओं के साथ चीजों को उनकी पूरी संवेदनशीलता के साथ समझने महसूस करने की आकाँक्षा..
    और ऐसे ही सच्चाई के धरातल पे टिके संबंध ही टिक पाते हैं..
    बेहतरीन.
    प्रतिक्षा को प्रतीक्षा कर लें तो ठीक लगेगा..

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  3. धन्यवाद अपूर्व जी 'भूल सुधार के लिये' । आभार

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  4. बहुत सुन्दर कविता...
    ब्लॉग की साज-सज्जा बहुत ही सुन्दर लग रही हैं...चन्दन
    और चित्र भी बहुत ही सुन्दर है...
    दीदी...

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  5. बहुत सुन्दर कविता...बेहतरीन.
    मेरी तरफ से बधाई....

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  6. वाह... बढ़िया रचना.. साधुवाद स्वीकारें..

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  7. मैं तो बस ला पाऊँगा

    तुम्हारे लिये

    ओस में लिपटे

    धूल से सने

    डाली से गिरे

    कुछ फूल

    जिनमें अभी भी बांकी है सुगंध
    वाह वाह ये हुई न बात बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई

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  8. आपका प्यार जताने का और एहसासों को बयाँ करने का अंदाज बहुत प्यारा है जी

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  9. धूल से सने

    डाली से गिरे

    कुछ फूल

    जिनमें अभी भी बांकी है सुगंध
    बड़ी ख़ूबसूरत संवेदनाएं हैं...यथार्थ के करीब....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  10. प्रेम की कितनी सरल और भोली अभिव्यक्ति है ....... बहुत उम्दा लिखा है ........

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  11. मैं तो बस ला पाऊँगा

    तुम्हारे लिये

    ओस में लिपटे

    धूल से सने

    डाली से गिरे

    कुछ फूल

    जिनमें अभी भी बांकी है सुगंध ।

    बहुत ही बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  12. सीधा , सच्चा और भोला भाला वादा

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  13. एक विश्वास से भरी सुंदर कविता...धन्यवाद

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  14. बहुत अच्छा लिखा.
    शब्दों की इंजीनियरिंग यूं ही जारी रखिये.
    शुभकामनाएं!

    विकास गुप्ता
    E-mail: vforvictory09@gmail.com
    mob. 09584233595

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  15. इस कविता ने मन मोह लिया। सच में। बहुत अच्छी।

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  16. मेरे विचारों पर

    खामोशी की परत

    जरूर चढ़ी है

    पर मैं इन्हें बदल दूँगा

    वक्त की ऊर्जा में ।


    man ko utsah se bharne wali evam protsahit karne wali sundar kavita...

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