गुरुवार, 13 अगस्त 2009

बलिदान

















मातृभूमि के चरणों में, चाहिये एक बलिदान,
वह इंसान इंसान क्या जो दे न सके बलिदान



हे ईश्वर दे वरदान, कर सकूं कुछ कार्य महान,
चाहता हूँ भारत को बनाना हर क्षेत्र में महान



दे दिया अपना बलिदान, जिन आजादी के वीरो ने,
तेरे लिये दिया हे माता अपना शीश उन अहीरो ने



आजाद भगत खुदीराम बाँध लाल सेहरा सर पे,
अर्पण कर दिया स्वंय को देशरूपी कंगूरे की नींव में



मरते गये परन्तु दस दस को मारते गये,
मरते मरते भी तुझको सलाम करते गये



सौंप गये आजाद भारत को सच्चे मन से हमें,
करनी है तेरी रक्षा प्राण देकर भी हमें



तेरे सम्मान के लिये सरहद पर मर रहा हिन्दुस्तानी,
बूंद बूंद रक्त बहाकर उत्सर्ग करता है अपनी जवानी



बन्धु बान्धवों माता पिता को छोड़कर,
न्योछावर करने आ गया रिश्ता घर से तोड़कर



चल पड़ा हूँ इस राह पर, अब न रुकूँगा कभी,
महाप्रलय क्यों न आ जाये मिलकर रक्षा करेगे तेरी हम सभी




(१ जुलाई १९९९)




16 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रचना
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

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  2. चल पड़ा हूँ इस राह पर, अब न रुकूँगा कभी
    इसी संकल्प की तो आवश्यकता है. खूबसूरत रचना

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  3. चल पड़ा हूँ इस राह पर, अब न रुकूँगा कभी,
    महाप्रलय क्यों न आ जाये मिलकर रक्षा करेगे तेरी हम सभी ।

    बहुत बढ़िया।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  4. Chandan Ji,
    swatantrata-parv ki shubhkamna... !
    Ishwar aapki ye sankalp shakti banaye rakhe.
    sundar rachana..., hamesh ki tarah...!

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  5. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!
    ---
    INDIAN DEITIES

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  6. देश के प्रति समर्पण का भाव - अच्छा लगा।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  7. Bahut sundar likha apne...badhai.

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. "शब्द सृजन की ओर" पर इस बार-"समग्र रूप में देखें स्वाधीनता को"

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  8. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  9. वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

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  10. चल पड़े हो राह पर, रुकना नहीं अब ... ... .

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  11. तेरे सम्मान के लिये सरहद पर मर रहा हिन्दुस्तानी,
    बूंद बूंद रक्त बहाकर उत्सर्ग करता है अपनी जवानी

    sach mein ......... aaj ki jaroorat hai aisi veerta ki, desh prem ki bhaavna ko jn jan tak pahunchane ki..... lajwaab likha hai

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  12. यूँ ही टिप्पणीयों द्वरा मार्गदर्शन करते रहे. आभार.

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